Tuesday, May 10, 2016

इत्तेहाद और संघर्ष का वक़्त आ गया है, अब चुप नही बैठा जायेगा

अन्याय के विरूद्ध लिखने और फैसला सुनाने जैसा लिखने में अंतर होता है जनाब।।

जो कल तक गला फाड़ फाड़ कर उन बे कसूर  लड़के को मास्टर माइंड आतंकवादी बता रहे थे सबूत न मिलने के कारण रिहा होने पर उनकी सांप सुंघ गई क्या अब चुप क्यों है?
कोई उनसे सवाल क्यों नही करता आखिर क्या कसूर है ?
हिन्दुस्तान मे कोई आंतकवाद नही है, अगर कही आंतकवाद है तो वह पत्रकारिता की कलम से बना आंतकवाद है, उन इलेक्ट्रोनिक मीडिया के कैमरों मे आंतकवाद है जिसमें बेगुनाहों को अपने राजनीतिक फायदों और चैनलों की टीआरपी बढ़ाने के नाम पर सक्रिय आंतकवादी दिखाकर पेश किया जा रहा है।क्योंकि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ आज बिकाऊ है, गुलाम है राजनीति का, "इसलिए राजनीतिक गलियारों मे अपनी कलम की बोली लगाकर यह पत्रकारिता आज दलाल बन चुकी है"।
ये हमारे लिए एक गम्भीर मुद्दा है इसपे गहन विचार करना होगा
जब तक फिरका फिरका खेलेंगे तब तक ऐसे ही होगा ,अब हम सब को एक होना होगा फिरकापरस्ती का खेल अब ख़त्म करो सोचो कही हमारी नस्ले बर्बाद न होजाय
जब अल्लाह एक है रसूल एक है काबा एक है तो हम एक क्यों नही

मुझे एक शेर याद आता है
उन्हें यह फ़िक्र है हरदम, नयी तर्ज-ए-जफा क्या है
हमें यह शौक है कि देखें सितम की इन्तहा क्या है

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