Thursday, December 24, 2015

मै इस देश का किसान हूँ

@साइम इसरार की कलम से

किसान का यह हाल देखकर शर्मिन्दा क्यों नही होते
क़र्ज़ में डूब आत्म हत्या करता फिर भी तुम चुप हो रहते
देश विकास कररहा है आकडे तुमने देखे होंगे
उसके खेतो बंजर होते तुमने शायद देखे होंगे
दावे बड़े बड़े हो करते कुछ तो उनके लिये काम करो
थोडा उनके परिवारो का भी कुछ तुम अब ख्याल करो
सूखे की खातिर क़र्ज़ मे डूबा है
आत्म हत्या करने को मजबूर खड़ा है वाही किसान
राजनीति सब करते हो तुमको किसने रोक है
क्या तुम अन्धे हो हालात नही दिखते है
सही मूल फसल के उसको कहा मिलते है
साइम
अब तुम इन्तिज़ार करो वक़्त बदलने वाला है
तख़्त बदलने को है अब समय बदलने वाला है