Thursday, October 29, 2015

तुम्हारी याद

कुछ वादा ए वफ़ा याद है
कुछ भुलादिये हमने
कुछ ज़िन्दगी के भूले किस्से
सबको सुनादिये हमने

तुम्हारी यादो को आज
तक साथ रखा है लेकिन
आज उन खातो को
खाक में मिला दिये हमने

तुम्हारी यह ज़िद तुम्हे
तनहा न करदे
बस इस ख्याल ने आज
फिर झुक दिया हमने

Saturday, October 24, 2015

अबकी बार चुनावो मे

कैसा यह माहोल बना है
     अब नफरत का बाज़ारो मे
भोली जनता भूकी मर रही है
    अब नयी सदी के अंधकारों में
कभी गाय का मुद्दा है
     कभी हिंदुत्व का लेते सहारा
  जनता भूकी मर रही है
      कैसा यह विकास का नारा
माहोल देश का बिगाड रखा है
   कुछ सियासत के आकाओ ने
साइम कई शहर जला डाले है
     इन बड़ बोले नेताओ ने
कैसी नफरत पैदा करदी
   भाई भाई को लड़वाने मे
खून बहरहा है सड़को पर
     इस नयी सदी के चुनावो मे

Thursday, October 22, 2015

शिक्षा ही एक मात्र समाधान है @साइम इसरार के कलम से

शिक्षा ही एक मात्र समाधान है
@साइम इसरार के कलम से ####
आज कल देश का माहोल बिगड़ने की कोशिश क्यों होरही है क्या आपने कभी सोचा है आज जो माहोल है उसका ज़िमेदार कौन है? अगर सच पूछो तो
इस सब के ज़िमेदार हम लोग खुद है क्यों की जब तक हम यह नही मानले की शिक्षा ही एक मात्र हल है तब तक इस समाज का कुछ नही होसकता जब तक हम लड़के और लड़की को एक बराबर नही मानेगें तब तक अपने बच्चों का भविष्य नही सम्हालेंग तब तक यही हॉल रहनेवाला है आखिर हमारी सोच में फर्क क्यों है लड़के को उच्च शिक्षा और लड़की को सिर्फ 12 वी तक ही क्या इतनी छोटी है हमारी मानसिकता हमे अपनी सोच को बदलना ही होगा बच्चों को शिक्षा का यह मतलब नही की स्कूल से ही काम चल जायेगा बच्चों को समाज में उठना बैठना , लोगो से बात करना और तमीज तहज़ीब पर सोचना होगा हम अपनी पुरानी संस्कृति से दूर जारहे है क्या होगा आने वली नस्लो का  क्यों की आज तक जो भी कुर्सी पर बैठा है उसने समाज को गुमरहा ही करा है अगर सब पढ़ लिख जाओगे तो इन नेताओ के पीछे कोन घूमेगा कोन इनकी जय जय कार करेगा और इनका सबसे ज़रूरी मुद्दा भी ख़त्म होजायेगा  सबसे बड़ी परशानी इन्हे ही होगी क्यों की हिन्दू मुस्लिम राजनीती ख़त्म होजायेगी और यह बेचारे बेरोज़गार होजाएंगे शिक्षा ही एक मात्र विकल्प है अगर हम चाहते है हमारे बच्चे इस दहशत की जिंदिगी से महफूज़ रहे तो सोचो कही बहुत देर ना होजाये और आखिर
कब तक यू ही धर्म के नाम पर हम लड़ते रहेंगे कब तक सड़को पर खून बहता रहेगा कभी दादरी मे अख़लाक़ कभी फरीदाबाद मे दलित मासुम बच्चों को ज़िंदा जला दिया जाता है आखिर कब तक ये सरकार मुआबजा देकर गरीबो का मजाक बनाती रहेगी कोई भी घटना हो सरकार केवल मुआबजा देकर अपना पल्ला झाड़ देती है क्या ये मुआबजा ही उन पीड़ित लोगो के लिए काफी है क्या सरकारे इन घटनाओ के लिये जिम्मेदार नहीं है

बुझाकर बेवजह दीपक बहोत खुश आंधियाँ होगी,
मगर फिर आग के शोलों से रौशन बस्तियाँ होगी।
@साइम इसरार के कलम से