Saturday, September 19, 2015

शर्म आनी चाहिये एसे नेताओ को तुम क्या जानो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बारे मे

शर्म आना चाहिये अलीगढ़ युनिवरसिटी को कहने वाले नेताओ को : साइम इसरार की कलम से

आज कल देश का माहोल साम्प्रदायिक बनाने की कोशिश मे कुछ लोग आपने ज़मीर से इतने गीरगएय है की पूरे विश्व मे ज्ञान ओर संस्कार के लिये पहचान रखने वाली ओर भारत मे शिक्षा के सफर मे साथ देने वाली केंद्र युनिवरसिटी
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवेरसिटी को आतंक की नर्सरी कहने वाले लोगो को शर्म आनी चाहिये वो लोग शायद भूल गये है के यह हिन्दू मुस्लिम नही पड़ते है ना ही किसी को हिन्दू मुस्लिम बनाया जाता है यह वो जगह है जहा लोगो को इंसान बनाया जाता है किसी भी जगह के नाम के आगे मुस्लिम शब्द हो तो उसे आतंक के साथ जोड़कर देखना यह कुछ स्यसि ओर साम्प्रदायिक लोगो की पहचान रही है वो बड़े ही नादान है य बेवकूफ है जिन्होंने इस्लाम को बिना पड़े ओर जाने उसे आतंक से जोड दिया है आज तक हम कुछ नही बोले हज़ारो बेयगुंह लोगो को आतंक की नाम पर जेल मे डाल दिया गया ओर भारत के कानून ने उन्हे बेगुन्हा साबित करा है लेकिन उन 5 य 10 साल मे उनका केर्यर बर्बाद हो गया लेकिन एक शिक्षा के मंदिर के बारे मे जब बोला गया तो सब चुप है यहा से लाखो हिन्दू भाई बहनो ने शिक्षा प्राप्त की है हज़ारो लोग अयसे है जिन्होंने बड़े बड़े संवैधानिक पदो पर रहकर देश की सेवा की है हिन्दुस्तान आर्मी मे रहकर दुश्मन को मुहतोड़ जवाब द्या है किसी ने अमरीका मे किसी ने दुबई मे ओर इंग्लैंड मे जाकर देश का नाम रौशन क्या है साउदी की पाक सरज़मी पर शांन से तिरंगा लहराया है अलीगढ़ मुस्लिम युनिववरसिटी ने भारत को उप राष्टपति दिया है
जावेद अख्तर जैसा संगीतकार भी यही की देंन है हिन्दुस्तान को ही नही बंगलादेश हो या पाकिस्तान के राष्टपति भी अलीगढ़ युनिवरसिटी की ही देंन है अब तो अमरीका भी हमारा लोहा मंन चुका है फ्रैंक इस्लाम जैसा कारोबारी जो अमरीका के राष्टपति बराक ओबामा के खास आदमियो मे है वो भी यहा का छात्र है आज भी जब देश को किसी वैज्ञानिक या डॉक्टरों की ज़रूरत होती है तो यह काम भी अलीगढ़ युनिवरसिटी आगे बड़ कर करती है अगर नाम गिनने पर आजौ तो बहुत समय लगेगा क्योंकि लिस्ट बहुत लंबी है सिर सैयद अहमद खान ने जो काम करदेखया है वो तुम सम्प्रदायक लोग क्या समझोगे तुम लोगो ने हमेशा अपनी स्यसि रोटी हिन्दू मुस्लिम के नाम पर सेकि है अरे हम तो तब जानते तुम इंसानियत की बात करते तुम मोहब्बत की बात करते तुम शिक्षा की बात करते लेकिन तुम्हे इसकी परवा कहा है तुम्हे अपनी कुर्सी की चिंता है आज आगर तुम इसतरह के बयान देते हो तो यह तुम्हारी छोटी मानसिकता को दर्शाता है लेकिन पढ़ा लिखा युवा हिन्दू मुस्लिम की झगड़ो से बहुत दूर है तुम्हारी बातो का आसार अब नही होगा ओर तुम्हारा यह ढोंग ज़्यादा दिन नही चल सकता वाहा लाल किले के प्राचीन से हमारे प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी विकास की बात कहरहै है ओर उन्ही की सरकार की कुछ लोग इसतरह के बयान दयरहै है ओर विश्व हिन्दू परिषद के इस बयान पर आबि तक किसी भी ज़िमेदार नेता ने आवाज़ तक नही उठाई है यही कोई ओर कुछ बोल बैठता तो मुकदमा लिखकर जेल मे डालदिया जाता लेकिन इस पर कोई करोवई नही होती है यह दोहरा रवैया क्यों है यही है सबका साथ सबका विकास
AMU ज़िंदाबाद था ज़िंदाबाद है ज़िंदाबाद रहेगा
जो अबर यहा से उठेगा वो सारे जहा पर बरसेगा

सभी का खून शामिल है यहा की मिट्टी मे किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है

@साइम इसरार की कलम से

Thursday, September 17, 2015

भीरष्टचर के हम खुद ज़िमेदार है

आज मेरे एक दोस्त का मोबाइल गुम गया तो उसकी रिपोर्ट करने मे अपने थाने मे गया सोचा इसकी सूचना पुलिस को देदु लेकिन मे यह भूल गया था के हम उत्तेर प्रदेश की नागरिक है ओर यह कोई भी काम बिना रिश्वत दिये होना असंभव है मेरे ओर आपके विचारो मे फर्क होसकता है लेकिन सच बात यह है की जो मुझे लगा वो लिखना बेहतर समझा फिलहाल मे अपनी फरयाद लिखकर जब थाने के अन्दर गया तो एक सेपहि ने आकर मुझसे संपरक किया मुझे लगा वक़्त बदल गया है यह युवा लोगो की सोच अलग होगी उसने मुझसे काम पूछा मायने बताया साहब मोबाइल गुमने की सूचना देना है उसने मेरी फरयाद पढ़ी ओर कहने लगा लॉओ खर्चा दो मै चौका पूछा साहब केस खर्चा तो साहब कहने लगे काम करने का जब मायने मन क्या तो सहाब ने कहा अंदर जाकर बात करो
अब मे अन्दर पहुच तो उन्होंने भी खर्च मग जब मायने मन क्या तो मुंशी जी ने एक पहचान पत्र मांग उनको पहचान पत्र दे दिया उन्होने एफिडेविट मांगा यह सब बात इस्वझ से हुई के हमने उंसहब को खर्चा नही दिया आखिर कार रिश्वत डायन बेहतर न समझा ओर मे वापस चला आया
अब आप ही बताओ भाई खुले आम रिश्वत लेकर काम होरहा है मे यह नही कहूँगा क सब पुलिस वाले रिश्वत लेते है बहुत से ईमानदार लोग भी है लेकिन चंद लोगो ने बदनाम कररखा है जब यह हाल है तो जनता का काम कैसे होता होगा सरकार या पुलिस या पूरे डिपार्टमेंट को कहना सही नही है इसमे उनलोगो की क्या गलती है जो ईमानदार है या अपने काम मे शुद्ध है गलती तो हमारी है के हम ने चंद भीरष्ट लोगो को बढ़ावा दिया अगर हम आपने आप को सुधरले तो शायद यह माहोल बदल सकता है बस अपनी सोच बदलना है हम होते कोन है किसी को दोष दयनेवाले
रिश्वत लेना आगर जुर्म है तो रिश्वत देना भी जुर्म ही है
इस प्रकार के मुद्दों पर चुप रहना ही गलत है हम खुद गुनहगार है हम ही ज़िमेदार है हम खुद सोचते है अपना समय बच्चने के लिये 100 रुपये दयदो लेकिन यह तो सोचो के हम दे सकते है ओर उनकी आदत बनने क बाद उन गरीबो का क्या होगा जब वो उनसे बिना किसी शर्म के ख़र्च मांगे अगर हमारी मोटर साईकल रोकि जाती है तो हम क्यों सोचते है 100 रुपये देकर बचजएंगे आखिर हम नेयमो का पालन करते तो इसकी ज़रूरत ही नही पड़ती लेकिन यह न तो कोई सुनने वाला है न ही सोचने वाला
तो इस भरष्टाचार का ज़िमेदार कों है
हम ही है तो बदलना होगा खुदको सोच बदलोगे तो देश बदल सकता है

नोट : लेख मे उन साहब कानाम लेना उचित नही है क्यों की मे उन्हे बदनाम नही करना चाहता हूँ लेकिन शर्म आनी चाहिये उन भीरष्ट लोगो को जो लोगो को बेवजह पर्शन करते है ओर अपने डिपार्टमेंट को बदनाम कररहै है अयसेय लोगो पर करोवई होनी चाहिये

राजनीति बदलने का वक़्त आगया है

हम खुद ज़िमेदार है इस भरष्ट तंत्र के
आज जब हम अपने घर के बाहर निकलते है तो घर वालो को यह पता नही होता के हम घर वापस आएयनगे य नही ?
क्यों की आज कल के हालात देखतै हुए हिन्दुस्तान के रोड की हालत बहुत ज़्यादा खराब पाता ही नही लगता के गाड़ी रोड पर चलरही है या गादो मे ताज्जुब तो मुझे तब होता है जुब नेता लोग कहते है के हम विकास कररहै है आरे भाई कोई इनलोगो से पूछता क्यों नही है के विकास इससे कहते है जब एक गंभीर हालात मे मरीज़ आपने घर से निकलता है ओर अस्पताल पहुचने से पहले गाड़ी मे ही उसकी सास उसका साथ चोदजति है
कोई गर्व वति महिला बच्चय को जन्म देने के लिये दर्द से चिल्लाती होती है ओर अस्पताल लेजतय समय उन्ही रोड के गडड़ो मे उसकी य उसके नवजात बच्चय की सास तुतजति है लेकिन इन सब बातो से न तो बड़े बड़े वादय करने वाले झूटे नेताओ को कोई फर्क पड़ता है ओर न ही हम लोगो पर राज करने वाली सरकारो पर चाहे राज्य सरकार हो य केंद्र सरकार मुझे सबसे ज़्यादा मूर्ख तो जनता लगती है जो चंद रुपयो ओर शराब की 1 बोतल की वजह से अपने ओर अपने बच्चों के भविष्य का सौदा कर्देतय है हम बार बार उनि भीरष्ट नेताओ को चुनते है जो हमारे पैसे पर जो विकास मे लगाया जाता उसपर थेकीदरो कमीशन लेकर अपने बड़े बड़े कॉलेज ओर स्कूल खोलरहै है ताकि उनकी आने वाली पुश्तों का भविष्य बंनसके ओर 5 साल हमे लूटने के बाद फीर दुबारा उन्ही को वेजय रथ पर चढ़ाकर हम लोगो पर राज करते है
यह सब गलती हमारी ही है हम अपना ओर आपने आस पास का विकास तब तक नही करसकते जब तक अपनी बच्चों क भविष्य को उस शराब की 1 बोतल से बाद नही संजहैंगे
यह नेता आखिर हमारे सेवक है तो हम इनसे सवाल क्यों नही करसकते यह पैसा भी हमारा है वोट भी हमारा जगह भी हमारी ज़रूरत भी हमारी तो सब कुछ हम ही क्यों भुगत रहे है इन नेताओ से सवाल करो 5 साल का हिसाब मांगो अगर तुम्हे लगता है के इन्होंने 75% काम किया तुमसे किये हुए वद्दे पूरे करे तब ही यह तुम्हारे वोट क हकदार है वरना नही
अब वक़्त बदलज्ञा है हिन्दू मुस्लिम की राजनीति से उप्पर उठो भूलजओ हिन्दू है य मुसलमान अगर अपने बच्चों की तकदीर बदलना चाहते हो तो सोच को बदलो ओर उखाड़ फेयको अयसेय भीरष्टचरी नेताओ ओर भरष्ट राजनीति को ताकि आने वाला दौर तुम्हारा हो
वोट डालो सोच संमहजकर

@साइम इसरार की कलम से

Monday, September 7, 2015

लो, अब भिखारी भीख भी धमकी देकर माँगने लगे

भारत हर बातो का सम्मान कर रहा है
और पकिस्तान समझ रहा है की भारत पाकिस्तान से डर रहा है इस लिये वो धमकी पे धमकी दिये जा रहा है लातोँ के भुत बांतो से नहि मानते अब ये जो समझते हैँ उसी भाषा मे जवाब मिलना जरुरी है धमकियों से क्या होता है दम है तो मैदान मैं आ कर आजमा लो. दिया बुझने से पहले फडफडाता है कितनी भी विशाल सेना क्योँ ना हो! कीतने भी परमाणु बम क्योँ न हो! कितने भी घातक हथियार ओर लड़ाकू विमाने क्योँ ना हो युद्ध को जीतने के लिए बुलंद हौसले मजबूत इरादे और जज्बात की जरुरत होती हे जो कि भारतीय सेना के अलावा और किसी भी देश की सेना मेँ नहीँ है भारत की जगह अगर पाकिस्तान इजरायेल का पड़ौसी होता तो अब तक पाकिस्तान मिट चूका होता लगता हे पाकिस्थान भुल गया है कि युद्ध उन्होने हि शुरू किया था .. और कराची से सिर्फ 20 कि मी पर भारतीय सेना आ गयी थी तो पाकिस्थान ने युद्ध बंद पे साईन कि थी ,,,, जब भारतीय कराची पे बम गिरा रहे थे तब उनके पंतप्रधान और दुसरे नेता पररारष्ट्र मंतालय मे छुपे थे ..... औयय बोलते हे कि भारत युद्ध में सफल नही हुआ ...... अपनी हार छुपने के लिए कुछ भी कहानी बता रहा है .... पाकिस्थानी नेताओ को ये बाते पता हे या नही ये मै नही जानता लेकीन एक और गीदड़ भबकि
वो सायद भूल गया हे बाप बाप होता हे
और इतिहास इससे भरा पड़ा है पकिस्तान के लिये तो हमारी आर्मी की एक बटालियन ही काफी हॆ अछा हॆ कि हमारी आर्मी कॊ सरकार छूट नही दे रहीधमकी तौ दुर कि बात यॆ पकिस्तान कुछ भी बोलने के लायक नही रहेगी आप देख लौ इतिहास उठा के यॆ बात अलग कि पकिस्तान पीठ पर ज़रूर वार कर सकता सामने से लड़ने कि उक़ात नहीँ है