Thursday, February 2, 2017

एक अधूरा सफ़र   #पाठ- बचपन की आज़ादी और बदलाव

#किताब - #एक_अधूरा_सफ़र एक अधूरा सफ़र
  #पाठ- बचपन की आज़ादी और बदलाव

मुझे बचपन के दिन अच्छी तरह याद है 26 जनवरी मनाने के लिए कई दिन पहले से तैयारियां शुरु कर दी जाती थी देश प्रेम के गाने अक्सर हमारे कानों को छूते हुए दिल में उतर जाते थे वह बचपन में एक अलग सी खुशी का अहसास दिलाते थे, दुनियादारी से अनजान बस 26 जनवरी मनाने का जुनून रात को ख्वाब में भी नजर आता था बचपन था तो यह भी नहीं पता कि 26 जनवरी को कहते क्या है कई सालों बाद पता लगा के गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस में क्या फर्क है हमें तो बस इतना ही मालूम था आज खुशयो का दिन है आजादी का सही मतलब भी नहीं पता था लेकिन हां मिठाई खाने की खुशी जरुर हुआ करती थी ,
26 जनवरी आने से पहले ही दिल में खुशियां अपना अड्डा बना लेती कि 26 जनवरी को स्कूल में मिठाई मिलेगी अब जैसे जैसे उम्र बढ़ती गई वैसे वैसे मिठाई का रूप बदलता चला गया पहले मिठाई लड्डू को कहा करते थे फिर कुछ सालों बाद उसकी शक्ल इमरती में हुई और आज के वक्त में चॉकलेट ने उसकी जगह ले ली है, चलो उससे क्या होता है मिठाई तो आखिर मिठाई है लेकिन अब वह बचपन का जमाना भी तो नहीं रहा जब खूब शैतानियां करते थे और 26 जनवरी आते ही प्रोग्राम की तैयारियों में लग जाते थे गाने भी अक्सर "मेरा रंग दे बसंती चोला" "मेरे देश की धरती उगले सोना"  एक अलग खुशियां लेकर आते थे जैसे मिठाई का रूप बदला और हमारी उम्र बदली उसी तरह गानों की जगह भी बदलती चली गई अब गाना "चक दे इंडिया" हो गया है लेकिन दिल में देश भक्ति का जुनून और तिरंगे की शान वही बचपन वाली है सुबह जेब के ऊपर तिरंगा लगा कर स्कूल जाने वाले दिन अब नहीं रहे लाल किले पर हो रहा जश्न रेडियो पर सुनने की जगह अब टीवी ने जरूर ले ली है, लेकिन मेरा देश तो नहीं बदला हां हम जरूर बदल गए दिल तो करता है वही बचपन का दिन वही पुरानी यादें और पुराना सुकून मिल जाए लेकिन भागती दौड़ती दुनिया में यह सब कहानियां हैं ।
उस समय तो मिठाई की खुशी में यह भी नहीं पता होता था कि इस दिन का असली मकसद क्या है आज सब कुछ पता है लेकिन वह मिठाई की खुशी नहीं है वह बचपना नहीं है वह दोस्त भी नहीं जो हमारे साथ खड़े होकर तिरंगे को सलामी देते थे अब तो ऐसा लगता है 15 अगस्त  या 26 जनवरी जिस दिन होती है उसी दिन देश भक्ति की बातें होती हैं
अब तो हम बड़े हो गए हैं लेकिन अपने अंदर के उस बच्चे को जिंदा करना होगा जो मिठाई की उम्मीद में भागा चला जाता था
The Saaim Israr Club #Bachpan #Ek_Adhoora_Safar #Republic_Day

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