Tuesday, May 3, 2016

सफ़रनामा ( हॉस्टिल ) पेज 2


किताब "एक अधूरा सफ़र"
★★★ सफ़रनामा ( हॉस्टिल )★★★
पेज 2
हॉस्टिल में अब ज़िन्दगी की नयी शुरूरात थी , शुरूरत में थोडा वक़्त ज़रूर लगा लेकिन हलके हलके सब कुछ पटरी पर आने लगा था, दिन तो किसी तरहा स्कूल मे कट जाता ,क्यों की मेरे फुफिज़ात भाई और बहन भी उसी स्कूल में थे वो मेरा ख्याल रखते आखिर मै उनका भाई था वो भी छोटा , फूफी अपने बच्चों के साथ एक टिफिन मेरा भी भेजती थी घर का खाना हॉस्टिल में नसीब वालो को ही मिलता है फ़िलहाल मै इस मामले में खुशनसीब था ,मेरी बहन जो 10वी में थी हमारा काफी ख्याल रखती थी फ़िक़्र के साथ खाना खिलाती उसने अपना फ़र्ज़ बखूबी निभाया था, स्कूल से छुट्टी के बाद शाम को डे बोर्डिंग मे कुछ कुछ वक़्त गुज़रते थे अब मेरे नये दोस्त भी मिलगये थे , राकेश मेरा एक दोस्त जिसे प्यार मे हम टोबो या रोबोट कहते थे, आज वो भारतीय जल सेना का हिस्सा है मेरे साथ बैठता था 3 घंटे का वक़्त हम बातो बातो में कैसे गुज़र देते पता ही नही लगता था उन दिनों की सबसे खूबसूरत यादो में से थे वो दिन जिस दिन खण्डेवाल सर जो की इंग्लिश पढ़ते थे  उनका क्लास होता तो मज़ा आजाता था , बड़ा मज़ा लेते थे शायद उन्हें ज़िन्दगी में इतना परेशान किसी ने नही किया होगा जितना की मैने करा था , वो अक्सर मुझे अलग बैठाते स्कूल में भी यही हाल था क्लास के अन्दर आते ही मुझे बिलकुल अलग बैठाते एक अलग कुर्सी थी लाल रंग की उनके कुछ किससे तो आज भी हँसने पर मजबूर करदेते है ,कुछ अल्फ़ाज़ आज भी कानो में गूंजते है मुझसे अक्सर कहते थे तुम नही सुधरोगे तुम सबसे शैतान बच्चे हो एक डाइलोग तो आज भी नही भुला हू "You foolish boy In a one slap you will fly in Air with your Chair " और मुझे हास्सी आजाती तो अक्सर मारा करते , एक बार वो मुझे मार रहे थे के अचानक डंडा मेरी नाक पर लागग्या और खुन निकलने लगा तो अपने रुमाल से खून रोकने की कोशिश की लेकिन चोट गहरी थी उस कांड से शोर मचग्य लेकिन शायद उस जैसा काबिल शख्स आज तक नही मिला एक अलग ही बन्द था , कॉपी चेक करते तो कभी अपने साइन भी नही करते हमेशा "सीन " लिख देते सबसे अलग पहचान थी उनकी लेकिन हम अपनी नादानी में कभी कद्र नही करते हमेशा मज़ाक में ही लेते थे , अभी कुछ साल पहले मुलाकात हुई थी अचानक देखते ही पहचान लिया था आज याद करता हु तो कभी हँसी आती है तो कभी आखे नाम होजाती है
एक अलग नाम "खण्डेलवाल" एक अलग पहचान थी सबसे अलग तनहा रहने की आदत थी
●●● हॉस्टिल का सफ़र अभी जारी रहेगा ●●●

किताब "एक अधूरा सफ़र"
★★★ सफ़रनामा ( हॉस्टिल )★★★

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