आज कल देश का माहोल बिगड़ने की कोशिश क्यों होरही है क्या आपने कभी सोचा है आज जो माहोल है उसका ज़िमेदार कौन है?इस सब के ज़िमेदार हम लोग खुद है क्यों की
जब तक हम यह नही मानले की शिक्षा ही एक मात्र हल है तब त
कब तक यू ही धर्म के नाम पर हम लड़ते रहेंगे कब तक सड़को पर खून बहता रहेगा कभी दादरी मे अख़लाक़ कभी फरीदाबाद मे दलित मासुम बच्चों को ज़िंदा जला दिया जाता है आखिर कब तक ये सरकार मुआबजा देकर गरीबो का मजाक बनाती रहेगी कोई भी घटना हो सरकार केवल मुआबजा देकर अपना पल्ला झाड़ देती है क्या ये मुआबजा ही उन पीड़ित लोगो के लिए काफी है क्या सरकारे इन घटनाओ के लिये जिम्मेदार नहीं है
कब तक यू ही धर्म के नाम पर हम लड़ते रहेंगे कब तक सड़को पर खून बहता रहेगा कभी दादरी मे अख़लाक़ कभी फरीदाबाद मे दलित मासुम बच्चों को ज़िंदा जला दिया जाता है आखिर कब तक ये सरकार मुआबजा देकर गरीबो का मजाक बनाती रहेगी कोई भी घटना हो सरकार केवल मुआबजा देकर अपना पल्ला झाड़ देती है क्या ये मुआबजा ही उन पीड़ित लोगो के लिए काफी है क्या सरकारे इन घटनाओ के लिये जिम्मेदार नहीं है
क इस समाज का कुछ नही होसकता जब तक हम अपने बच्चों का भविष्य नही सम्हालेंगे तब तक यही हॉल रहनेवाला है क्यों की आज तक जो भी कुर्सी पर बैठा है उसने समाज को गुमरहा ही करा है अगर सब पढ़ लिख जाओगे तो इन नेताओ के पीछे कोन घूमेगा कोन इनकी जय जय कार करेगा और इनका सबसे ज़रूरी मुद्दा भी ख़त्म होजायेगा सबसे बड़ी परशानी इन्हे ही होगी क्यों की हिन्दू मुस्लिम राजनीती ख़त्म होजायेगी और यह बेचारे बेरोज़गार होजाएंगे शिक्षा ही एक मात्र विकल्प है अगर हम चाहते है हमारे बच्चे इस दहशत की जिंदिगी से महफूज़ रहे तो सोचो कही बहुत देर ना होजाये और आखिर
बुझाकर बेवजह दीपक बहोत खुश आंधियाँ होगी,
मगर फिर आग के शोलों से रौशन बस्तियाँ होगी।
@साइम इसरार के कलम से
मगर फिर आग के शोलों से रौशन बस्तियाँ होगी।
@साइम इसरार के कलम से
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