Sunday, February 12, 2017

यूपी का चुनावी चक्रव्यू

●●●@ साइम इसरार के कलम से ●●●
●●● यूपी का चुनावी चक्रव्यू ●●●प्रदेश का विधानसभा चुनाव हमेशा से एक बड़ा मसला रहा है उसकी वजह यह है राजनीतिक पंडित कहते हैं दिल्ली के सिंहासन का रास्ता लखनऊ होकर निकलता है इसका मतलब यह की जो लखनऊ में सरकार बनाएगा बिना उसकी मदद के दिल्ली में सरकार बनाना असंभव है।
जैसा कि पिछले लोकसभा चुनाव में देखने को मिला अल्पसंख्यक वोटरों के एक बड़े बिखराव से सांप्रदायिक ताकतें मजबूत हुई और केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी कुछ इस से ही मिलता जुलता अब यूपी चुनाव के विधानसभा चुनाव में दिख रहा है अल्पसंख्यक वोटर का बिखराव बीजेपी को मदद कर रहा है वजह बड़ी साफ है ,समाजवादी कांग्रेस गठबंधन और  बसपा के उम्मीदवार दोनों ही जगह मुस्लिम मतदाताओं के वोट बिखराव से सांप्रदायिक ताकतें मजबूत हो रही हैं जैसे कि लोकसभा चुनाव में देखने को मिला था ,
कई लोकसभा सीटें ऐसी हारी जहां बसपा और समाजवादी आपस में लड़ती रह गई और भारतीय जनता पार्टी का कमल खिल गया सबसे बड़ा उदाहरण मुस्लिम बहुल क्षेत्र संभल मैं शफीकुर्रहमान वर्क साहब की मात्र 5000 वोटों से हार और मुरादाबाद की सीट पर भी यही हुआ बचा कुचा वोट पीस पार्टी के मुस्लिम रहनुमाओं ने काट लिए रामपुर में भी यही देखने को मिला था समाजवादी उम्मीदवार मजबूत थे लेकिन उनके वोट कांग्रेस और  बसपा ने  बीजेपी का कमल खिलवा दिया।
जब राजनैतिक ज्ञानियों ने गणित लगाया तो पता यह चला कि बहुजन समाज पार्टी का अपना दलित वोट सीधे बीजेपी को ट्रांसफर हो गया और अल्पसंख्यक वोटर साफ शब्दों में कहा जा है तो मुस्लिम वोटर बीएसपी के और समाजवादी और कांग्रेस तीनों में आपस में इतनी बुरी तरह बट गया जिससे कि बीजेपी को बहुत बड़ा फायदा हुआ ,
परिवार की 5 सीटों पर समाजवादी पार्टी तो किसी तरह अपनी इज्जत बचाने में कामयाब रही  लेकिन मायावती की बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश में एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत सकी , उधर कांग्रेस ने भी दो सीटें जीती ,कांग्रेस और सपा में वोट बंटवारे को लेकर कई सीटे हरी थी अब दोनों के गठबंधन से देखना दिलचस्प होगा के यूपी को यह साथ कितना पसंद आता है और कितना अखिलेश जी का #काम बोलता है
अब तक की चुनावी गणित देखा जाए तो कुछ चुनावी सर्वे को छोड़कर सब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन को बहुमत देते देख रहे हैं और इनको सीधी टक्कर भारतीय जनता पार्टी दे रही है अब अगर सरकार बनाने के लिए मायावती की पार्टी बीएसपी और बीजेपी मिल जाते हैं तो यूपी में मायावती की सरकार बन जाएगी लेकिन अभी तो फिलहाल अखिलेश यादव और राहुल गांधी का यूपी को साथ पसंद आ रहा है और समाजवादी कांग्रेस गठबंधन सबसे मजबूत दिखाई देता है वही अगर बीएसपी मजबूर कर देती है तो सीधे फायदा बीजेपी को पहुंचेगा फिर सत्ता पर काबिज समाजवादी पार्टी की जगह हाथी का परचम लहरा सकता है ,
मायावती जहां गुंडाराज को अपना सबसे बड़ा मुद्दा मानती हैं ,वही अखिलेश विकास को सबसे बड़ा मुद्दा मानते हैं और भारतीय जनता पार्टी मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रही है अब देखना यह है  यूपी का वोटर किसके सर पर ताज रखता है, एक बात और बड़ी महत्वपूर्ण है के लोकसभा चुनावों की बात अलग थी जब मोदी जी को देश का प्रधानमंत्री बनाने के लिए जनता ने ठान ली थी लेकिन यह उत्तर प्रदेश का चुनाव उससे बिलकुल अलग है ,यहां के मुद्दे भी दूसरे हैं और चेहरे भी अलग जिन की धमक राजनीति में बहुत पुरानी है एक तरफ तो दो युवा चेहरे एक साथ खड़े हैं जो विकास की बात करते हैं एक तरफ मायावती जी खड़ी हैं जो गुंडा राज की बात करती हैं और एक तरफ भारतीय जनता पार्टी है मोदी जी के चेहरे के नाम पर वोट मांग रही है देखना दिलचस्प होगा किसकी बात से जनता संतुष्ट होती है और किसके सर यह ताज जाता है क्योंकि लोकतंत्र में सबसे बड़ी ताकत जनता की है और 5 साल बाद जनता के दरबार में इन बड़े बड़े नेताओं को आना ही होता है वरना जनता की सुनता कौन है ।
चुनाव के बाद ना कोई पूछने वाला है और ना कुछ बताने वाला तभी किसी शायर ने यह कहा है ।
"गरीबों की प्लेट में पुलाव आ गया लगता है फिर यूपी में चुनाव आ गया"

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