ठण्ड के मौसम की गरमायी सी है माँ
मनो एक रज़ाई सी है माँ,
बरसात की बूंदो सी छाई है माँ,
नये फूल की खुशबु सी आई है माँ ।।
सूरज की रौशनाई सी है माँ
चांदनी रात की चमकई सी है माँ,
आखो में सपने लिये कहा सोपाई है माँ
न जाने कितने दुःख उठाई है माँ,
एक असर दार दुआ सी है माँ
मनो जन्नत की परछाई सी है माँ।।
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