Thursday, September 17, 2015

भीरष्टचर के हम खुद ज़िमेदार है

आज मेरे एक दोस्त का मोबाइल गुम गया तो उसकी रिपोर्ट करने मे अपने थाने मे गया सोचा इसकी सूचना पुलिस को देदु लेकिन मे यह भूल गया था के हम उत्तेर प्रदेश की नागरिक है ओर यह कोई भी काम बिना रिश्वत दिये होना असंभव है मेरे ओर आपके विचारो मे फर्क होसकता है लेकिन सच बात यह है की जो मुझे लगा वो लिखना बेहतर समझा फिलहाल मे अपनी फरयाद लिखकर जब थाने के अन्दर गया तो एक सेपहि ने आकर मुझसे संपरक किया मुझे लगा वक़्त बदल गया है यह युवा लोगो की सोच अलग होगी उसने मुझसे काम पूछा मायने बताया साहब मोबाइल गुमने की सूचना देना है उसने मेरी फरयाद पढ़ी ओर कहने लगा लॉओ खर्चा दो मै चौका पूछा साहब केस खर्चा तो साहब कहने लगे काम करने का जब मायने मन क्या तो सहाब ने कहा अंदर जाकर बात करो
अब मे अन्दर पहुच तो उन्होंने भी खर्च मग जब मायने मन क्या तो मुंशी जी ने एक पहचान पत्र मांग उनको पहचान पत्र दे दिया उन्होने एफिडेविट मांगा यह सब बात इस्वझ से हुई के हमने उंसहब को खर्चा नही दिया आखिर कार रिश्वत डायन बेहतर न समझा ओर मे वापस चला आया
अब आप ही बताओ भाई खुले आम रिश्वत लेकर काम होरहा है मे यह नही कहूँगा क सब पुलिस वाले रिश्वत लेते है बहुत से ईमानदार लोग भी है लेकिन चंद लोगो ने बदनाम कररखा है जब यह हाल है तो जनता का काम कैसे होता होगा सरकार या पुलिस या पूरे डिपार्टमेंट को कहना सही नही है इसमे उनलोगो की क्या गलती है जो ईमानदार है या अपने काम मे शुद्ध है गलती तो हमारी है के हम ने चंद भीरष्ट लोगो को बढ़ावा दिया अगर हम आपने आप को सुधरले तो शायद यह माहोल बदल सकता है बस अपनी सोच बदलना है हम होते कोन है किसी को दोष दयनेवाले
रिश्वत लेना आगर जुर्म है तो रिश्वत देना भी जुर्म ही है
इस प्रकार के मुद्दों पर चुप रहना ही गलत है हम खुद गुनहगार है हम ही ज़िमेदार है हम खुद सोचते है अपना समय बच्चने के लिये 100 रुपये दयदो लेकिन यह तो सोचो के हम दे सकते है ओर उनकी आदत बनने क बाद उन गरीबो का क्या होगा जब वो उनसे बिना किसी शर्म के ख़र्च मांगे अगर हमारी मोटर साईकल रोकि जाती है तो हम क्यों सोचते है 100 रुपये देकर बचजएंगे आखिर हम नेयमो का पालन करते तो इसकी ज़रूरत ही नही पड़ती लेकिन यह न तो कोई सुनने वाला है न ही सोचने वाला
तो इस भरष्टाचार का ज़िमेदार कों है
हम ही है तो बदलना होगा खुदको सोच बदलोगे तो देश बदल सकता है

नोट : लेख मे उन साहब कानाम लेना उचित नही है क्यों की मे उन्हे बदनाम नही करना चाहता हूँ लेकिन शर्म आनी चाहिये उन भीरष्ट लोगो को जो लोगो को बेवजह पर्शन करते है ओर अपने डिपार्टमेंट को बदनाम कररहै है अयसेय लोगो पर करोवई होनी चाहिये

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