Wednesday, November 2, 2016

नजीब कहा है

एक युवा सोच एक युवा लेखक के सवाल जो हर युवा के दिल में है "कहाँ है नजीब"
@साइम इसरार के कलाम से●●●

आज नजीब कोई अंजान शक़्स नही है जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय का छात्र नजीब लापता है और किसी को कोई फर्क नही यह कैसा इंसाफ है साहब एक गाय के गुमजाने पर हंगामा होजाता और एक माँ का बेटा एक छात्र गयाब होजाता है पुलिस और नेता सब चुप
आज #JNU के छात्र के साथ ये नाइंसाफी क्यों?
ये वही जेनयू है जिसने कुछ महीने पहले देश की राजनीती में भूचाल खड़ा करदिया था आज एक माँ के आंसू नहीं पोछे जाते और पुलिस की क्या बात करे भाई आम आदमी पार्टी के विधायक को पकड़ने के लिए पूरी दिल्ली पुलिस लगादी जाती है और पाताल से भी खोजने की बात करते है प्रधानमंत्री जी मुस्लिम के हक़ की बात भी करते है लेकिन नजीब के मसले पर चुप रहते है कैसी नाइंसाफी है, एबीवीपी के कुछ गुंडे नजीब को मारते है गाली देते है जान से मारने की  धमकी देते है "लेकिन सब चुप " यूनिवरसिटी प्रशासन चुप रहता है और नजीब गायब होजाता है
छात्रों को भी कुछ फर्क नही पड़ता कुछ कहते है हमारी यूनिवरसिटी का मामला नही है कोई कहता है नजीब मुस्लिम है
हा है वो मुस्लिम है एक बूढ़ी माँ का बेटा है किसी का भाई है किसी की उम्मीद है लेकिन एक छात्र है वो इंसान भी है कल को नजीब की जगह तुम भी होसकते हो तुम्हारे लिये भी सब चुप रहेंगे तब भी यही कहा जायेगा
तुम्हे फर्क नही पड़ता होगा मुझे फर्क पड़ता है उस बूढ़ी माँ के आंसू मुझसे सवाल कररहे है मुझे मेरी माँ दिखती है कल मेरी माँ भी होसकती है
मै तो आवाज़ उठाऊंगा मै तो नजीब की बात करूँगा मै तो सवाल करूँगा
आखिर कहा है नजीब क्यों की मै इंसान हू मैने रोहित की बात की थी मै नजीब की बात करूँगा मुझे हिन्दू मुस्लिम से क्या लेना है मै छात्र हू और नजीब तो भाई है मेरा
तुम जानो क्या करना है तुम्हारा धर्म तुम्हे मुबारक तुम्हारी नफरते तुम जानो में तो इंसान हू मेरा इस्लाम मिझे ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाने की शिक्षा देता है मोहब्बत की बात जनता  हू इसीलिये नजीब मेरा भाई है मै साइम इसरार हू

लेकिन तुम्हे इस बात से क्या लेना उसकी माँ से क्या लेना नजीब कोई रिश्तेदार थोड़ी है
ज़्यादा कड़वा लिखने लगा हू लकिन क्या करूँ इंसानो की भीड़ में इंसानियत ढूंढ रहा हू
●●● साइम इसरार के कलाम से

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