Wednesday, April 22, 2015

SORRY गजेंद्र... ये देश शर्मिंदा है... हमें माफ करना

मेरे पिताजी ठीक कहते है कि किसानो और गरीबो का कोई नही सुनने वाला है ,

अगर कोई है तो ऊपर वाला कम से कम अब भी हमारी सरकार किसान के हालात को सुधारने के प्रयास करें, अब भी ऐसे कदम उठाए जाएँ जिससे किसानों की बढती आत्म-ह्त्या पर रोक लग सके. मीडिया का कैमरा चलता रहा, पुलिस वाला डंडा हिलाता रहा, भीड़ देखती रही, नेता भाषण देता रहा और एक बेटा, एक बाप, एक पति झूल गया किसान तो मर गया लेकिन उसकी लाश काम आ गयी नेताओं के जो उसपर गन्दी राजनीति करने लगे हैं 1000 किसान मर गए एक नेता को छोडो उसके PA तक ने कभी बोला
चलो एक किसान था जो सैंकड़ो और किसानों की तरह गुमनामी की मौत नही मरा

मैडम जी और युगपुरूष जी अपने अपने बच्चों की जिंदगी बनाने की फिराक में हैं और मरता हुआ किसान अपने बच्चों की जिंदगी बचाने की

चलिए शायद कल-परसों तक तो यह तय हो ही जाएगा की गजेन्द्र जी की मृत्यु की वजह से हुई, शायद कोई तब तक यह भूल जाए की वह किसान भी था केजरीवाल जी सता के लिये बिजली के लिए पाँल पर तो चढ जाते है पर किसान को बचाने के लिये पेङ पर क्यो नही चढे कभी कभी इंसानियत भी यह कहती है कि "अपना-अपना कर्म छोड़ कर किसी की जान बचाई जाये बहस इसपर हो रही है की किसान ने किसके सामने आत्महत्या की मगर ये मुद्दा नहीं है की अबतक 600 किसानों ने क्यों  कितना शर्मनाक है कि देश के कार्यकारी प्रधान की नींद उसके नाक के नीचे किसी गजेन्द्र की ख़ुदकुशी से टूटती है ! डूब मरो।

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