कुछ दिनोँ से लगातार टीवी देख रहा हूं जो भी चेनल खोलकर देखता हूँ हर जगह राजनीतिक या अंय समाचारोँ के अलावा मुझे कुछ भी नहीँ मिलता किसानो की बधाई पर रोने वाले मात्र एक दूजे न लो पर कुछ घंटे दिखाई जाने वाली खाने नाममात्र हे किसानो की बध हाली पर कोई रोए भी तो क्यूँ रोए ?
किसानो पर रो कर हमेँ मिलेगा भी क्या?
यह कुछ महत्वपूर्ण सवाल हे जो हर किसी के दिमाग मेँ घूमते रहते होंगे आप लोगो को बताना भी है समझता हूँ किसान हमारे देश का अन्नदाता कहलाता हे वहन देता जो हर किसी के घर तक अनाज पहुंचा रहा हे ताकि कोई भी इंसान भूखा न सोए किसी के बच्चे भूखे पेट न सोए किसी के घर चला न जले किसान रात दिन मेहनत करता हे ओर ६ महीने बाद जब अपनी फसल वो बाजार मेँ बेचने जाता हे तूने तो उसे सही मूल्य मिल पाता हे ओर नहीं सरकारी सीपीटी स्कीम ओ कलाब क्यूंकि सरकारी स्कीम मेँ जितनी भी ऊपर से चलती हे नीचे आते आते उनमेँ से कुछ नहीँ बचता सारे ऊपर से लेके तक नीचे तक ईमानदार भाई बेटे हे राजनेता हुए या सरकारी तंत्र इस सिस्टम को बुरी तरह से नष्ट कर दिया गया हे इमानदार कहने का मतलब के हे कहा से ज्यादा बेईमान हो गए हे हम आज भले कर के साथ कहते हें सबसे ज्यादा अनाज पैदा करती हे हमारी आज की सबसे ज्यादा जनसंख्या किसानी करती हे लेकिन आपने कभी होर से सोचा भी नहीँ होगा किसान किस स्थिति से किस मुस्किल से अपने घर चला रहा हे उसके पास खाने के लिए हे या वो भूखा सो रहा हे ऊपर से ये मोसम बेमोसम बारिश के मोसम ओला वृद्धि से किसान बिल्कुल बर्बाद हो गया हे लेकिन सरकारोँ का काम तो चली रहा हे सर्वे हो रही हे सर्वे होते रहेंगे हजार रुपए के दस रुपए किसानो को मिल भी जायेंगे वो भी दो चार साल बाद किसान करेंगे क्या चारा यही सोच कर संतुष्ट हो जाता हे कि मेने उसकी वसूल हो गए लेकिन सच्चाई बहुत दूर हे भ्रष्टाचार इस देश की जरुरत पहुंच चुका हे जो किसी भी काम को पूरा करने के लिए भ्रष्टाचार से होकर गुजरना आवश्यक हो गया हे किसान की दिन बाद हत्या हत्या करने का मतलब ये हे कि किसान आत्महत्या जो कर रहा हे उसकी आत्महत्या नहीँ हे बल्कि उसकी हत्या की जा रही हे उसके ऊपर कर्ज का बोझ बच्चे को पढाने की भोज बेटी की शादी का बोझ घर को चलाने का बोझ सब किसानोँ के उपाय इतनी बोझ हे वो केसे अपना जीवन व्यतीत करे नई चेनल्स 24 घंटे किसानो का रोना रो लेते हेँ उसके बाद न तो किसी को होश आता हे ओर न ही कोई सॉंग करने की कोशिश करता हे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने किसानो को लाभ बचाने के लिए थोडा बहुत मजा दे दिया हे लेकिन असल मकसद अभी हल नहीँ हुआ हे ये मोजजा जब राष्ट्रीय सरकार तक होता हुआ पहुंचेगा तो ये बहुत कम रह जाएगा उसका सारा असर भाग बीच मेँ लेख वाल लेखपाल पटवारी और अंय अधिकारी खा जाएंगे पटना तो किसी की निगाह गी नहीँ कोई किसान से द्वारा जाकर पूछेगा न उसको उपज का सही मूल्य मिल पाई अगर आप थोडा भी किसानो से मुलाकात करेंगे और आप किसी भी किसान के खेत पर जाकर देखेंगे आपको रोना आएगा कि कैसे गेहूँ की फसल बर्बाद हो गई हे उस की लागत भी आना मुश्किल हे किसान आत्महत्या क्यूँ ना करे जिसको अपना भविष्य अंधकार मेँ दिख रहा हे आत्महत्या के अलावा के पास कोई चारा भी नहीँ हे मेँ अपनी राय २ किस तरह दूँ मुझे तो समझ मेँ नहीँ आ रही हे गरीब किसान के बारे मेँ क्या ओकात हे मेरी जो मे इन गरीबो के बारे मे लिख सकूँ सारे के सारे अक़्लमंद पढ़े लिखे तो ये राजनेता हे ये मीडिया वाले हे हम नाकारा बेरोजगार आ सकते फिलहाल इतना ही कहूँगा कि अगर भ्रष्टाचार करना हे तो किसी ओर मधुबाला भ्रष्टाचार करे लेकिन किसानो को बख्श दो वहन जाता हे उनके घर मेँ दोस्तोँ का चोला जानने के लिए कुछ तो होने देँ तो ओर ऊपर वाले से भी यही दुआ करुँगा के तू उनका साथ दे ताकि उनके घर मेँ दो वक्त का खाना बन सके उनके बच्चे पर सके दवा का खेल सके बधाल हे बेहाल हे रोने के सिवा और कोई चारा नहीँ हे जिसे रोया भी नहीँ जा रहा हे वो आत्महत्या का रास्ता बना लेता हे माना ये सरासर गलत हे लेकिन कभी हम क्या करेँ जो सरासर अंधकार मेँ धक्के ले जा रही हे इन किसान भाइयोँ को
Thursday, April 9, 2015
किसानोँ की बदहाली
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