Sunday, February 26, 2017

धर्म कोई भी हो इंसान बनने के लिए शिक्षा की जरूरत है

●●●●साइम इसरार के कलम से ●●●●●
मुसलमानों की सियासत करने से हमें कुछ नहीं मिलने वाला बहुत मुत्तहिद हो कर देख लिया यूपी में जितना मुत्तहिद हुए उतना ही साम्प्रदायिकता का वोट बैंक मुत्तहिद हो गया मुझे तो ऐसा लगता है कि हमें सेक्युलरिज्म का बोझ अपने कंधों पर उठाने की आदत डाल लेनी चाहिए ।
जब तक तालीम में मजबूत नहीं है तब तक इस बारे में सोचना निहायती बेवकूफी होगी क्योंकि जब कभी भी हमने किसी को अपना कयादत माना है ,तब तब हमारे साथ धोखा और छल-कपट हुई है आदमी ताकत के नशे में इतना चूर हो जाता है कौम के असली मसाइल तो पीछे छूट जाते हैं और बचा-कूचा हमारे बिकाऊ रहनुमा जिन्हें हम निर्दलीय चुनते हैं वह पूरा कर देते हैं वक्त और हालात की नजाकत को देखते हुए हमें जज्बात से ना फैसला लेकर दिमाग से फैसला लेना होगा हमें, अपनी कौम को तालीम में आगे ले जाकर खड़ा करना होगा जहां से हम एक नई इबारत लिख सकें कोई भी कौम उस वक्त तक कामयाब नहीं होती है जब तक सिर्फ अपने बारे में सोचे अगर हम अपने बारे में सोचते हैं तो सोचना हमें उन गरीब लोगों के बारे में भी है उन बेबस लोगों के बारे में भी है उन अनपढ़ लोगों के बारे में भी सोचना है जो किसी और धर्म से ताल्लुक रखते हैं ताकि हम सब का विकास हो सके और शिक्षा किसी एक धर्म के लिए नहीं है हर धर्म में कहा गया है कि तालीम हासिल करो इसीलिए  तो हर धर्म की अलग-अलग किताबे हैं वह पढ़ कर इंसानियत सीखने के बारे में है ना कि धर्म की ठेकेदारी करने के लिए।

जब तक हम तालीम याफ्ता नहीं हो जाती तब तक राजनीति अपनी हद तक की करना बेहतर होगा क्योंकि इस सियासत के चक्कर में हमारे असली मसाइल पीछे छूट जाते हैं और हम अपनी छोटी मोटी समस्याओं पर वक्त बर्बाद करना शुरू कर देते हैं हमारी बुनियादी समस्याएं तभी हल हो सकती हैं जब हर घर से बच्चा अच्छी तालीम हासिल करें बेहतर यह होगा कि जो लोग सियासती स्टेज से मेहनत करते हैं वह लोग कौम को तालीम देने में मदद करें जितना वक्त हमारे रहनुमा सियासत में बर्बाद करते हैं उतना वक्त अगर हम शिक्षा के क्षेत्र में लगाएं तो हमारे हालात में बदलाव आ सकता है पढ़ लिख कर जब हम अपनी मेहनत के बलबूते अपनी ताकत बनाने की कोशिश करेंगे तो उससे हमारी बुनियादी समस्याएं हल हो सकती हैं इसके लिए हमें अभी से आगाज करना होगा ताकि हम ब्यूरोक्रेसी पर कब्जा कर सकें ब्यूरोक्रेसी सफर का वह स्टेशन है जहां से हमारा सफर लंबा तो होगा लेकिन कामयाबी जरूर मिलेगी मैं तो यही सोचता हूं।
हो सकता है आपकी सोच मुझसे मुख्तलिफ हो सकती है और आप मुझसे बेहतर जानते हो सकते है
आज के लिए इतना ही है आगे आप सोचिए और मुझे भी सोचने का मौका दीजिए वैसे तो लोग यह कहते हैं सोचने से कुछ नहीं बदलता करने से बदलता है

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