Sunday, March 1, 2015

कुछ यादे ओर कुछ बातेँ केसे बोलूँ बता दो मुझको

वो रातेँ बहुत याद आती हे दादी की बातेँ बहुत याद आती हे दादा कि वो प्यारी डांट जाकर सोना उनके पास .
वो गाँव मेँ बीते लमहे कुछ यादोँ के संग कुछ प्यारी बातोँ के संग
वो आम के बाग मेँ जून की गर्मी
नहर के पानी की ठंड मानो जैसे गर्मी हारी साथी अपने सारे रंग ..
दोस्ती यारी भाई बहन सब मिलकर करते थे मस्ती दूर के रिश्ते लगते हैँ अपने कितनी प्यारी थी वो बस्ती
याद बहुत आती हे व गांव के दिन की राते एक अलग ही दुनिया लगती थी  वो अपने सारे रिश्ते नाते
दरिया दरिया बस्ती बस्ती पेड़ की ठंडी छाँव मेँ सरकारी नल के पानी की मिठास आज भी याद आती हे अपने गाव की जिंदगी ज़हन को परेशान कर जाती हे

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