Saturday, October 24, 2015

अबकी बार चुनावो मे

कैसा यह माहोल बना है
     अब नफरत का बाज़ारो मे
भोली जनता भूकी मर रही है
    अब नयी सदी के अंधकारों में
कभी गाय का मुद्दा है
     कभी हिंदुत्व का लेते सहारा
  जनता भूकी मर रही है
      कैसा यह विकास का नारा
माहोल देश का बिगाड रखा है
   कुछ सियासत के आकाओ ने
साइम कई शहर जला डाले है
     इन बड़ बोले नेताओ ने
कैसी नफरत पैदा करदी
   भाई भाई को लड़वाने मे
खून बहरहा है सड़को पर
     इस नयी सदी के चुनावो मे

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