सुन हमला देश के ऊपर,
बंदुक उठा चल देता हूं,
है मौत का गम किसको,
मैं खून धरा को देता हूं,
है कफ़न सर पे तना हुआ,
दिल में देशप्रेम भर लेता हूं,
दुश्मन को अपनी चीख से
राख में ध्वस्त कर देता हूं,
लौटता हूं तमगा वीरता का लेकर,
कभी जान देश पर देता हूं,
कभी डरना नहीं मेरे देश के लोगो,
मैं पहरा सरहद पर देता हूं,
Monday, July 27, 2015
तेरी शहादत को सलाम
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