Monday, July 24, 2017

( पेज 1 ) कुछ यादे ओर जिंगल बेल्स

( भाग 5 पेज 1 )
कुछ यादे ओर जिंगल बेल्स
जिंदगी में कुछ और लम्हे जुड़ने वाले थे कुछ नए लोगों का साथ लिखा था इसलिए सफर जिंगल बेल स्कूल की तरफ बढ़ गया था
पहले दिन तो ऐसा लगा कि यहां एक-एक पल गुजारना मुश्किल हो जाएगा लेकिन जैसे जैसे वक्त बीतता गया नए लोगों का नाम जिंदगी में जुड़ता चला गया ।
सब कुछ बड़ा शांत शांत सा लग रहा था बराबर की सीट पर बैठे एक सरदार जी से मुलाकात हुई उन्होंने अपना नाम मिस्टर गिल बताया, मुझे कुछ समझता नहीं आया बस दोबारा उनसे यूं ही पूछ लिया असली नाम क्या है हंसते हुए बोले हमें सनप्रीत गिल और मिस्टर गिल कहते हैं कुछ देर बात करने के बाद उनसे दोस्ती सी हो गई काफी मजा आ रहा था उनके साथ कभी कभी हम भी टूटी-फूटी पंजाबी बोलिया करते थे और वह हमारी बातों पर बहुत हंसते आज सनप्रीत  एक मशहूर फोटोग्राफर हैं उनके साथ वक्त का पता ही नहीं चलता था कब दिन निकल गया और घर जाने का वक्त आ गया
हमारे ही बराबर में एक सीधे साधे दिखने वाले लड़के ने हमें खाना खाने के लिए कहा जान पहचान तो नहीं थी लेकिन ऐसा लगा जैसे कोई अपना हो बिना कुछ सोचे समझे उसके साथ बैठ गए और खाना खाते जाते बातें करते रहते हैं नाम पूछने पर अपना नाम पार्थ मल्होत्रा बताया तभी एक मोटा सा लड़का वहां पर आकर बैठ गया और हम लोगों से कहने लगा मैं भी नया आया हूं मुझे रोहित कहते हैं हमने साथ में उसको भी खाना खाने के लिए कहा बस यूं ही शुरुआत में हम तीन दोस्त रोज मिलकर खाना खाते और मस्ती करते थे मैं अक्सर उन लोगों से कहा करता था यहां से जाने के बाद बहुत याद आएगी तब वह लोग कहते कोई बात नहीं दोस्ती तो लाइफ टाइम ही रहेगी
कुछ ही दिन में दोस्ती इतनी गहरी हो गई थी बिना एक दूसरे के खाना नहीं खाते छुट्टी भी करना होती थी तो पहले ही बात कर लिया करते थे कि कल नहीं आना है वक्त बीतता गया और साथी और बढ़ते चले गए।।
एक दिन अचानक हमारी मुलाकात सैयद आमिर अली से हुई वैसे तो वह हमारे टीचर भी थे रोज क्लास लेने के लिए आते लेकिन उस दिन उनसे बहुत बातें हुई तो ऐसा लगा जैसे पहली बार मिले हो लेकिन रिश्ता बड़ा पुराना सा लगता बातों में उर्दू लहजा कभी-कभी शायरी की जुबान से बहुत कुछ कह जाते जो दिल को छू जाती थी हमें बहुत पढ़ाया अक्सर जब कभी स्कूल जाने में परेशानी हुआ करती थी तब उनकी स्कूटी पर स्कूल जाया करता था वह अपने घर बुला लेते बिना नाश्ता करें साथ नहीं लेकर जाते थे उनके घर से एक अलग ही रिश्ता हो गया था जो लफ़्ज़ों में बयान नहीं किया जा सकता है, आज भी सब वैसा ही है साल बीते हैं बातें नहीं

● ●आगे भी जारी रहेगा●●

1 comment:

  1. Finally book re start hui h or bht achi hui h.very good keep it up.

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